Friday, October 31, 2014


फौलादी पुरुष
(सरदार पटेल जयंती : ३१ अक्टूबर)

वर्षों पहले की बात है । एक बालक की काँख में फो‹डा हो गया था । उस समय गाँवों में फोडे को गर्म सलाख से जलाकर ही ठीक किया जाता था । तब ऑपरेशन जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी । वह बालक अपने पिता के साथ लुहार के पास पहुँचा। लुहार ने सलाख को लाल-लाल होने तक तपाया । लेकिन जैसे ही उसने तपती हुई सलाख हाथों में ली, बालक का मासूम चेहरा देखकर रुक गया ।
इस पर बालक क्रोधित होकर गरजा : ‘‘क्या देख रहे हो...? 
सलाख ठंडी हो जायेगी । जल्दी करो... इस फोडे को जला दो ।

अब तो उस लुहार का हाथ थर-थर काँपने लगा । यह देखकर उस बालक ने वह गर्म सलाख उसके हाथ से छीन ली और अपने फो‹डे को बेहिचक लगा दी ।
फो‹डा जल गया । यह दृश्य जिसने भी देखा, वह सिहर उठा... एक धक्का-सा लगा उन लोगों को। पर बालक के चेहरे पर दर्द की कोई रेखा नहीं थी । 

कौन था वह साहसी बालक ? दोस्तो ! आगे चलकर वही बालक ‘भारत के लौह-पुरुषङ्क के नाम से जगप्रसिद्ध हुआ । उस वीर, साहसी बालक का जन्म ३१ अक्टूबर १८७५ को गुजरात के नडियाद गाँव में हुआ था । पिता श्री झवेरभाई व माता लाडबाई ने उसका नाम रखा ‘वल्लभभाई । १८५७ के स्वातंत्र्य-समर में युवा झवेरभाई ने ब‹डी वीरता के साथ अंग्रेजों को चुनौती दी थी । वल्लभभाई के ब‹डे भाई विट्ठलभाई भी प्रसिद्ध देशभक्त थे । बालक वल्लभ को निर्भयता व वीरता के संस्कार तो खून में ही मिले थे । 

उस बालक की निर्भयता से जहाँ बडों के सिर हर्ष व गर्व से ऊँचे उठ जाते थे, वहीं छोटे भी उन्हें बेहद चाहते थे । स्वभाव से ही वे अन्याय के खिलाफ थे । अपने सहयोगियों के कल्याण में उनकी प्रामाणिक दिलचस्पी थी ।


Wake Up HIndus ! Wake Up . Time Alarming ! Hindus Wake UP !
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l जयतु हिन्दूराष्ट्र ll हिंदूराष्ट्र सेना ! क्रांती चिरायु हो ! भारत हिन्दूराष्ट्र है l

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